इस्लामाबाद। पाकिस्तान की एक अदालत ने एक महिला की मर्यादा भंग करने के इरादे से उसे उत्पीडित करने वाले आरोपी छह साल के बच्चे को बरी कर दिया। अदालत ने इस अवैध प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए लडके के ऊपर लगे सभी केस रद्द करने का भी आदेश पुलिस को दिया। खबरों के मुताबिक शालीमार शहर की पुलिस ने 12 नवंबर को महिला की शिकायत पर हसन और उसके नाबालिग भाई हसनैन पर मुकदमा दर्ज किया था। इन दोनों पर आरोप लगाया गया था कि इन्होंने महिला पर लोहे की छड से हमला किया और उसके साथ यौन संबंध बनाने की कोशिश की।
ÃÂ हसन को इस मामले में गिरफ्तारी से पहले ही जमानत मिल गई थी। हसनैन ने भी अपने वकील के साथ अदालत में गिरफ्तारी से पहले जमानत की मांग की। इस केस की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश नावीद इकबाल ने एक नाबालिग के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के मामले में पुलिस की लापरवाही का संज्ञान लिया। उन्होंने पाया कि पाकिस्तानी दंड संहिता (पीपीसी) की धारा 82 के तहत 7 साल से कम उम्र के बच्चे को किसी भी आरोप में नामांकित करने पर रोक है। इस धारा में कहा गया है कि 7 साल से कम उम्र के बच्चे द्वारा किया गया कोई भी कार्य अपराध नहीं है। जज ने नाबालिग को उसके ऊपर लगे सभी आरोपों से बरी कर दिया और पुलिस को प्राथमिकी रद्द करने का आदेश दिया, साथ ही कहा कि इस मामले से संबद्ध न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष रिपोर्ट पेश करें।
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